तुझको मिलने का हरसू रहेगा इंतज़ार
तुझे भी ये चाहत हो रहेगा इंतज़ार
एक जहां में शामिल हूँ, दूजा ज़हन में है
पहले से हिज्र ख़त्म हो ये रहेगा इंतज़ार
तेरी निगाहों से इश्क़ उतरेगा लबों पर
ये वहम यकीं बने रहेगा इंतज़ार
तय करनी है अभी कुछ नई मंज़िलें तुझे
मेरी राह भी संग चले रहेगा इंतज़ार
तेरा ख़्याल मुस्कान दे और तेरी कमी अश्क़
सुकून दोनों में मिले रहेगा इंतज़ार
ख़ामोशी अपने बीच आ जाती है यकबयक
रूह से रूह को पुकार लो रहेगा इंतज़ार
तेरी ही परछाई दिखती है हर एक शख्स में
अब तेरी तलाश ख़त्म हो रहेगा इंतज़ार
सही गलत के दायरों को छोड़ आया हूँ मैं
तू भी आ जाये यहाँ रहेगा इंतज़ार
या तो यही ख़त्म हो या ख़त्म हो तू “मुख़्तसर”
इंतज़ार के अंजाम का रहेगा इंतज़ार